मैं स्वेच्छा से वज्रकुल का सदस्य बनने हेतु यह शपथ लेता / लेती हूँ कि

  • मैं अपनी पूरी निष्ठा (मन, तन, व धन) से वज्रकुल व मेरे राष्ट्र भारतवर्ष की सेवा करूँगा / करूँगी । मैं स्वयं या मेरे परिवार की अपेक्षा वज्रकुल तथा राष्ट्र व इसके सांस्कृतिक मूल्य को सदैव प्राथमिकता दूँगा / दूँगी ।

  • मैं अपने प्रत्येक कृत्य में व्यक्ति से परिवार, परिवार से कुटुंब, कुटुंब से ग्राम, ग्राम से जनपद, जनपद से राज्य, और राज्य से संपूर्ण भारतवर्ष को प्राथमिकता देकर भारतवर्ष की एकता, अखंडता, व संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने में पूर्ण निष्ठा से योगदान दूँगा / दूँगी, तथा इस धारणा का समाज व संपूर्ण भारतवर्ष में प्रसार व प्रचार करूँगा / करूँगी ।

  • मैं वज्रकुल द्वारा प्रतिपादित प्राचीन भारतीय शास्त्रों की शिक्षा पर आधारित नीतियों, कर्तव्य / धर्म, व सांस्कृतिक मूल्यों के अनुसार अपना जीवन निर्वाह करूँगा / करूँगी । मैं इन शिक्षाओं की रक्षा करते हुए इनका समाज में प्रसार व प्रचार कर इन्हें समाज में पुनः स्थापित करने में वज्रकुल को पूर्ण निष्ठा से सहयोग दूँगा / दूँगी ।

  • मैं वज्रकुल से जुड़े हुए सभी आचार्यों के मार्गदर्शन का विधिवत (मन, वचन, व कर्म से) पालन कर गुरु-शिष्य परंपरा के आदर्श को पुनः स्थापित करने में वज्रकुल को पूर्ण निष्ठा से सहयोग दूँगा / दूँगी ।

  • मैं वज्रकुल की शिक्षा अनुसार बिना किसी जाति, धर्म, मूल, राष्ट्रीयता, क्षेत्र, अथवा भाषा के भेदभाव के, प्रत्येक नारी की मर्यादा का सम्मान व उसकी रक्षा करूँगा / करूँगी । मैं आवश्यकता पड़ने पर भगवान श्रीराम व भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर नारी की मर्यादा की रक्षा हेतु दुष्टों का समाज से पूर्ण उन्मूलन करने में वज्रकुल को संपूर्ण समर्थन व सहयोग दूँगा / दूँगी ।

  • मैं वज्रकुल द्वारा प्रतिपादित प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान व व्यवहार करने वाले किसी भी व्यक्ति से जाति, मूल, क्षेत्र, अथवा भाषा के आधार पर भेदभाव नही करूँगा / करूँगी, और न ही ऐसे भेदभाव पर आधारित भ्रष्ट आचरण का व्यवहार कर किसी योग्य व्यक्ति को समाज में उसके उचित स्थान से वंचित करूँगा / करूँगी । मेरे लिए व्यक्ति के जन्म के स्थान पर सदैव उसके गुण व कृत्य सर्वोपरि रहेंगे ।

  • मैं वज्रकुल द्वारा प्रतिपादित प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान व व्यवहार करने वाले प्रत्येक वृद्ध, अपंग, व्याधिग्रस्त, अथवा निस्सहाय व्यक्ति को यथा-संभव योगदान देकर सम्मान व प्रेम से नैसर्गिक जीवन जीने में सहायता करूँगा / करूँगी ।

  • मैं प्राचीन भारतीय लोक कलाओं का पुनरुद्धार कर उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने, उपेक्षित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार व संरक्षण करने, तथा जनमानस को उनकी महत्ता के विषय में जागरूक करने में वज्रकुल को पूर्ण सहयोग दूँगा / दूँगी ।

  • मैं, प्रत्येक जीव में ईश्वर विद्यमान हैं, इस धारणा के अनुरूप समाज में प्राणी मात्र के प्रति प्रेम व सद्भाव की शिक्षा का प्रचार करूँगा / करूँगी ।

  • मैं वज्रकुल के ध्येय व उद्देश्यों के प्रति पूर्ण समर्पित रहकर नियमों व अनुशासन एवं आचार्यों व अन्य पदाधिकारियों के आदेशों का पूरी निष्ठा व कठोरता से मन, वचन, व कर्म से पालन करूँगा / करूँगी । यदि मेरे किसी भी कृत्य से वज्रकुल की प्रतिष्ठा, मान, धन, चल अथवा अचल संपत्ति की हानि होती है तो वज्रकुल की अनुशासन समिति द्वारा दिया गया प्रत्येक दंड मुझे सहर्ष स्वीकार होगा और मैं उसका मन, वचन, व कर्म से अक्षरश: पालन करूँगा / करूँगी ।